श्री गणेश–लक्ष्मी महायज्ञ: बाधाएँ दूर करने और माता लक्ष्मी का निवास आपके घर में सदा के लिए स्थापित करने का दुर्लभ अवसर।
हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ इच्छाएँ होती है। कुछ सपने होते हैं। इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए और सपनों को साकार करने के लिए मेहनत आवश्यक है — परंतु केवल मेहनत से ही हर बार सफलता नहीं मिलती। सकारात्मक सोच और भक्ति भी आवश्यक है। और जब कर्म, ध्यान, भक्ति और पूरे हृदय से की गयी साधना का संगम होता है, तब हमारे प्रयासों का मार्ग सुगम बनता है, हमारे सपने भी पुरे होते हैं, और जीवन को एक नया अर्थ भी मिलता है| 108 कुण्डीय श्री गणेश–लक्ष्मी महायज्ञ इसी ऐसे ही पावन संगम का एक स्वरुप है। जब हम गुरु सानिध्य में इस महान यज्ञ में शामिल होते हैं और साथ में चलने वाली वरदान सिद्धि साधना का भी लाभ लेते हैं तब हमारे शरीर, मन और मस्तिष्क में एक नवीन ऊर्जा का संचार होता है और जीवन नया लगने लगता है। सुख, शान्ति, समृद्धि और एक सकारात्मक जीवन शैली के लिए हम सभी को एक बार यह यज्ञ अवश्य करना चाहिए। इस वर्ष, दीपावली के पूर्व यह महायज्ञ परम पूज्य सुधांशु जी महाराज एवं डॉ. अर्चिका दीदी के मार्गदर्शन में आयोजित होना है और इसका उद्देश्य पर्यावरण शुद्धि, दीर्घायु, समृद्धि, तथा दिव्य कृपा का विस्तार है। आइये, इस महायज्ञ से जुडी कुछ रोचक बातों को जानें।यह संख्या 108 केवल अंक नहीं, बल्कि एक समन्वित ऊर्जा संरचना को दर्शाती है। प्रत्येक कुण्ड की संरचना विशेष होती है और हर कुंड में यज्ञ, मंत्रोच्चारण और समर्पित साधना द्वारा एक स्थायी ऊर्जा क्षेत्र रचित किया जाता है जो नकारात्मकों को प्रवाहित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इस प्रकार का सामूहिक यज्ञ न केवल वातावरण को पवित्र बनाता है, बल्कि समाज और वैश्विक चेतना में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
इस यज्ञ का एक उद्देश्य पर्यावरण शुद्धि है।
यज्ञ की अग्नि और समर्पित मंत्रोच्चारण प्राकृतिक वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म नकारात्मक ऊर्जाओं को शमन कर देते हैं। ऐसे आयोजन से आस-पास की हवा, मानसिकता और सामाजिक वातावरण शुद्ध होने लगता है — जो दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है। सामूहिक ऊर्जा का यह संचार छोटे-छोटे स्थानों से बढ़कर समस्त वातावरण तक फैलता है।
यज्ञ साधक को दीर्घायु और आरोग्य प्रदान करता है।
जब मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, तब रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्थिरता में सुधार आता है। श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ तथा वरदान सिद्धि साधना का अभ्यास आंतरिक शांति और शारीरिक सुदृढता को बढ़ावा देता है, जिससे जीवन में दीर्घायु और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।
समृद्धि और आर्थिक स्थिरता।
भगवान गणेश बीमारियों और बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं और माता लक्ष्मी समृद्धि की स्रोत। इन दोनों देवताओं की संयुक्त पूजा और विधिवत यज्ञ गृहस्थ जीवन में आशीर्वाद, नए अवसरों का सृजन और स्थिर आर्थिक उन्नति के लिए मार्ग बनाते हैं। वरदान सिद्धि साधना व्यक्ति की ऊर्जा संरचना को ऐसा बनाती है कि काम के प्रति आकर्षण और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है—जिसका प्रत्यक्ष असर व्यवसाय और जीवन पर दिखाई पड़ता है।
दिव्य कृपा और जीवन में लक्ष्य सिद्धि का स्रोत है वरदान साधना और यज्ञ।
वरदान सिद्धि साधना केवल मन्त्र-जप नहीं; यह एक गुरु निर्देशित ध्यान विधि है जो साधक को ब्रह्मांडीय सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करना, ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करना और जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की कला सिखाती है। परम पूज्य सुधांशु जी महाराज और डॉ. अर्चिका दीदी के सान्निध्य में यह साधना वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से सिद्ध है—जो मानसिक स्पष्टता, समस्या-समाधान क्षमता और आंतरिक सुकून प्रदान करती है।
यह समझना आवश्यक है कि अनगिनत अंध-रिवाज़ों और अधूरी विधियों से वास्तविक सफलता नहीं मिलती; सही मार्गदर्शन और नियमित साधना से ही जीवन के लक्ष्य संभव होते हैं। वरदान सिद्धि साधना ने अनेक साधकों को तनाव, चिंता और अनिश्चय से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में स्थायी परिवर्तन लाने में मदद की है—चाहे वह शारीरिक स्वास्थ्य हो, पारिवारिक सौहार्द्र हो या समृद्धि में वृद्धि।
साधारण अनुष्ठान नहीं है श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ।
108 कुण्डीय श्री गणेश–लक्ष्मी महायज्ञ केवल चार दिवसीय साधारण अनुष्ठान नहीं है; यह एक दीर्घकालिक ऊर्जा रूपांतरण है जो घर और मन दोनों में माता लक्ष्मी का स्थायी वास कराती है। यज्ञ के माध्यम से जब सिद्धि-ऊर्जा घर में स्थापित होती है, तो बाधाएँ पीछे छूट जाती हैं और जीवन की राहें स्वतः सुगम हो जाती हैं। अपने जीवन में स्थायी, सार्थक और सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु और अपने प्रयासों का फल पाने का सुन्दर माध्यम है श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ और वरदान सिद्धि साधना।
अंततः, जो परिवर्तन हम भीतर लाते हैं वह बाहरी जगत को भी परिवर्तित करता है। यह यज्ञ हमारे भीतर सकारात्मक परिवर्तन लाता है। सही साधना, गुरु-सान्निध्य और समर्पण से बाधाएँ स्वतः हटती हैं और माता लक्ष्मी की नित्य उपस्थिति घर का हिस्सा बन जाती है। तो आइए—अपने प्रयासों को दिव्य दिशा दें और श्री गणेश–लक्ष्मी की उस महिमा में समाहित हों जो न केवल जीवन को समृद्ध बनाएगी बल्कि संसार में शांति और आशा की नई किरणें भी रोपेगी।
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